कौन लाया, अञ्जनी का हनुमन्त, गौरी का गनेश लाया। २॰ “ऐं पिन्स्थां कलीं काम-पिशाचिनी शिघ्रं ‘अमुक’ ग्राह्य ग्राह्य, कामेन मम रुपेण वश्वैः विदारय विदारय, द्रावय द्रावय, प्रेम-पाशे बन्धय बन्धय, ॐ श्रीं फट्।” इस साधना का कोई विधान नहीं है बल्कि इसे पूजा पाठ में शामिल किया जाता है. तिलक https://baglamukhihavan49483.uzblog.net/5-tips-about-shabar-mohini-vashikaran-you-can-use-today-46414445